शरीर पर सफ़ेद दाग़ जिसको leucoderma अथवा vitiligo के नाम से भी जानते हैं का होना ज़ाहिर हे चमड़ी को रंग देने वाले पदार्थ जिसको मेलेनिन के नाम से जानते हैं की कमी अथवा उसकी आपूर्ति बाधित होना कारण होती है| मेलेनिन की यह कमी अथवा बाधा चमड़ी पर जिन जगहों पर होगी वहां चमड़ी का मूल रंग बदल कर सफ़ेद होने लगता है | मेलेनिन की कमी अथवा आपूर्ति में बाधा इंगित करती है के शरीर में अस्वस्थता है तथा शरीर के आंतरिक अंगो की क्रयाओं के ताल मेल में खराबी है| सफ़ेद दाग़ मिटने के लिए शरीर की आंतरिक कार्य पर्णाली सुचारु होना आवश्यक है | जिसके लिए शरीर को अंदर से ठीक किया जाने के अलावा कोई दूसरा तरीका नहीं है | शरीर को पूर्ण स्वस्थ करने के लिए होम्योपैथिक पद्धति से उपचार ही एक रास्ता है |होम्योपैथिक पद्धति से उपचार का मतलब हे रोगी को पूर्ण रूप से स्वस्थ करना अर्थात रोगी को मानसिक शारीरिक एवं आत्मिक रूप से रोग मुक्त कर आंतरिक एवं बाह्य प्रक्रियाओं को सामान्य/ सहज करना | होम्योपैथिक उपचार से जब शरीर के आंतरिक अंगो की क्रियाएं सामान्य होने लगती हैं तो मेलेनिन की आपूर्ति शरीर को सामन्य होने लगती है और सफ़ेद दाग़ मिटना शरू हो जाते हैं किन्तु सफ़ेद दागों के मिटने की गति धीमी लगती है | इस धीमी गति की वजह है मेलेनीन की सामन्य आपूर्ति यदी मेलेनिन अधिक बनेगा तो शरीर की चमड़ी काली होने लगेगी कियोंकि मेलेनिन सप्लाई चमड़ी के रंग के अनुसार होने लगती है तो उन स्थानों पर जहाँ सफेदी हो चुकी है उतना ही मेलेनिन पहुँचता है जितना स्वस्थ शरीर को सप्लाई आवश्यक है | सफ़ेद धब्बो वाले स्थानों पर सामान्य मात्रा में मेलेनिन पहुँचने से वहां रंगत बदलने में समय लगता है | अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 09425006131/8871714432